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रानी लक्ष्मीबाई: अदम्य साहस की प्रतीक | Rani Laxmibai: Symbol of indomitable courage

 रानी लक्ष्मीबाई: अदम्य साहस की प्रतीक | Rani Laxmibai: Symbol of indomitable courage


भारतीय इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई का नाम अमर है। वह एक ऐसी वीरांगना थीं जिन्होंने अपने अदम्य साहस और पराक्रम से अंग्रेजों को चुनौती दी और अपने राज्य की रक्षा के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनकी वीरता और शौर्य की गाथा आज भी लोगों को प्रेरणा देती है।

Rani Laxmibai: Symbol of indomitable courage

रानी लक्ष्मीबाई का जन्म:


रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1835 को काशी में हुआ था। उनके बचपन का नाम मणिकर्णिका था। उनके पिता मोरोपंत तांबे और माता भागीरथी बाई थीं। मणिकर्णिका बचपन से ही अत्यंत तेज और बुद्धिमान थीं। उन्हें घुड़सवारी और तलवारबाजी में विशेष रुचि थी।


झांसी की रानी बनना:


सन् 1842 में मणिकर्णिका का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव से हुआ। सन् 1851 में उन्हें एक पुत्र हुआ जिसका नाम दामोदर राव रखा गया। दुर्भाग्यवश, दामोदर राव की मृत्यु शैशवावस्था में ही हो गई। सन् 1853 में गंगाधर राव की भी मृत्यु हो गई। चूंकि उनका कोई दूसरा पुत्र नहीं था, इसलिए उन्होंने मणिकर्णिका को झांसी की रानी घोषित कर दिया।


अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई:


सन् 1857 में अंग्रेजों ने भारत में अपने साम्राज्य का विस्तार करना शुरू कर दिया। उन्होंने झांसी पर भी कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने उनकी हर चाल को नाकाम कर दिया। उन्होंने अपने सैनिकों का अदम्य हौसला बनाए रखा और अंग्रेजों से लोहा लिया।


झांसी का पतन और रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान:


सन् 1858 में अंग्रेजों ने झांसी पर हमला कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से बहादुरी से लड़ाई की, लेकिन उनकी सेना अधिक शक्तिशाली थी। अंग्रेजों ने झांसी पर कब्जा कर लिया और रानी लक्ष्मीबाई को वहां से भागना पड़ा।


रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर के तात्या टोपे के साथ मिलकर अंग्रेजों से लड़ाई जारी रखी। 18 जून, 1858 को ग्वालियर के युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेज सैनिकों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गईं। उनकी वीरता और शौर्य से आज भी लोग प्रेरणा लेते हैं।


रानी लक्ष्मीबाई की विरासत:


रानी लक्ष्मीबाई एक अदम्य साहस की प्रतीक थीं। उन्होंने अपने देश और अपनी प्रजा की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनकी वीरता और शौर्य की गाथा आज भी लोगों को प्रेरणा देती है। वह भारतीय महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं।


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