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अमर शहीद शीतल पाल जी की जयंती पर शत शत नमन

 अमर शहीद शीतल पाल जी की जयंती पर शत शत नमन अमर शहीदों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता भारतीय गडरिया समाज की तरफ से 1857 की क्रांति के महान वीर शहीद शीतल पाल जी को उनके जयंती पर उन्हें शत शत नमन। 




एक भेड़ पालक चरवाहा की अमर कहानी जो कहानी ही मात्र नहीं बल्कि वास्तविक रूप से अपने लग्गे के माध्यम से घोड़े के पैर में फंसा कर अंग्रेजो का सर कलम कर दिया। देश की आजादी की लड़ाई में महान भूमिका निभाने वाले भारतीय इतिहास के महान नायक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 1857  क्रांति की लड़ाई में शहीद होने वाले आखिर वह कौन थे शहीद शीतल पाल 1857 की क्रांति में जिले के पाली में अंग्रेज अफसरों को मारे जाने में शीतल पाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

बताया जाता है कि उस दौरान जिले में अंग्रेजो द्वारा किसानों की खेतों पर कब्जा कर जबरन नील की खेती कराई जाती थी। और किसान भाइयों को एवं आम नागरिक को प्रताड़ित किया जाता था इस दौरान शहीद झूरी सिंह ने इसका विरोध करना शुरू किया। विरोध से आक्रोशित अंग्रेजो ने झूरी सिंह के बड़े भाई को फांसी दे दी । और झूरी सिंह पर इनाम रख दिया। इस दौरान अंग्रेज अफसर रिचर्ड म्योर अपने सहयोगियों के साथ पाली पहुंचा, जहां झूरी सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ रिचर्ड म्योर का पीछा किया। घोड़े पर सवार रिचर्ड म्योर भागने लगा और झूरी सिंह उसका पीछा करते रहे। तभी भेड़पालक शीतल पाल खेत मे अपने जानवर भेड़ों को चरा रहे थे उन्होंने तत्काल अपने लग्गे को अंग्रेज अफसर के घोड़े के पैर में फंसा दिया।  जिसके बाद रिचर्ड म्योर नीचे गिर पड़ा और झूरी सिंह ने तलवार से उसका सर कलम कर दिया। 


भेड़ पालक चरवाहा गडरिया समाज का योगदान देश और राष्ट्र के लिए बहुत ही अतुलनीय रहा है जब भी राष्ट्र देश की बात हुई क्या फिर पलक चरवाहा समाज हमेशा अपने आप को न्योछावर और बलिदान देने का काम किया है। ऐसे में कई सारे उदाहरण है चाहे वह स्वतंत्र संग्राम सेनानी बाबू जोखई राम पाल जी रहे चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शीतल पाल जी चाहे वह  देश की आजादी की लड़ाई में शहीद होने वाले प्रेम सिंह गडरिया जी हो क्या अन्य तमाम ऐसे सैकड़ों लोग देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दिया है। लेकिन कहीं ना कहीं इस भारत देश के बड़ी अजीब विडंबना है कि उनके इतिहास को दबाए जाने की साजिश रची गई। खास विशेष जाति के लोगों को ही सामने लाया गया,तमाम दबे कुचले,शोषित,वंचित समाज के तमाम तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कभी सामने नहीं लाया गया।

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