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तीज का व्रत दो कारणों से मनाया जाता है


 तीज का व्रत दो कारणों से मनाया जाता है।

1-शादीशुदा औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए

2-कुंवारी कन्याएं अच्छा पति पाने के लिए

यह दोनो व्रत भोलेनाथ और पार्वती को आराध्य मानकर ब्राह्मण की निगरानी में या उसके बताए हुए नियम के आधार पर दान -दक्षिणा, पूजा -पाठ,हवन आदि क्रियाओं के साथ संपन्न होती है।

दोनों तरह की महिलाएं अपनी अपनी मनोकामना पूर्ण हो,इसलिए यह व्रत हर साल पूरे भारत में बड़ी धूम -धाम से मनाया जाता है।


अब सोचने वाली बात यह है कि यदि दोनों प्रकार की महिलाओं की मनोकामना हर साल पूरी होती है तो उनका पति उनके जीवित रहते मृत्यु (किसी भी कारणवश) को कैसे प्राप्त हो जाता है?

और गैर शादी शुदा महिलाओ को पति नशेड़ी,गजेड़ी,भगेड़ी कैसे मिल जाता है,पति दहेज क्यों लेता है,पति मारता -पीटता क्यों है? (किसी भी कोर्ट में जाकर आप ये आंकड़ा जान सकते है)


यदि यह आस्था का विषय माना जाए तो क्या ऐसी आस्था को मानकर हर साल हजार -दो हजार रुपए और कीमती समय बर्बाद करना कहा की बुद्धिमानी है।

यदि कुछ अशुभ होता है तो इसका दोषी कौन है?

आप या ब्राह्मण?


इंसान कोई भी काम करता है तो इस आशा और विश्वास के साथ करता है कि परिणाम सकारात्मक आए,मेहनत के अनुरूप आए।तीज का व्रत हमारे पुरखों से चला आ रहा है परंतु आज तक आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे है कि परिणाम सकारात्मक नहीं मिल पाया।।फिर भी उसी काम को वही इंसान लगातार क्यों कर रहा है?


सोचनीय विषय है.......... 

तो सोचो और कमेंट करके अपनी अपनी राय दीजिए

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